बारे बालम की बारहमासी
जेठ शुक्ल सुम्मार दशहरा जानती सबभायी
मेरे ब्याह के हेत बरायत द्वारे पार आयी
खुशी सब लोग मनाते तो
बारे बालम संग आजु बबुल् मेरो ब्याह रचाते है
पिया मेरो मड़ईुए तै डोलाई
आगे मेर बैठ कहांई मोय गोदी मैं लाई लेय
मरी मैं शर्मन के मारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
लागे मास असाड़ा सखी ऋतू बर्षा की आयी
बरसन लागे मेघ चलन लागि हई पूर्वाई
बहई मेरे नैन सै पानी
7 वर्ष के देख बलम मैं मन मैं घबरानी
वर्ष 17 की रे मै आली
दुख किसई सुनावयीं जाए हमारी सेज़ पड़ी खाली
रहूं मैं कब लौ मन मारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
सावन महीना लगो
सावन महीना लगो हिण्डोला झूलाइन सब गोरी
गवांवई राग मल्हार डारी कै रेशम की डोरी
खुशी सब घर घर मैं सखियाँ
बांधाई अपने हाँथ बलम के हांथन मैं रखियाँ
बलम मेरे छोटे हई बहिना
हम किन पर करयीं सिंघार ना भावाई सावन को महीना
भये मेरे बाबूल हत्यारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
भादौ भई वरसा बिकट भरे हये नद्दी और नाले
पापिया पियू पियू कराई हमारो जियरा तन जारायी
जवानी नाही डाटी रे डांटे
मेरे करई बदन तन जोर हमारो सभी बदन फाट यी
पिया मेरो लड़िकन संग डोलेई
बात करत तुतलात करत है धोती या खोले
देखी मोही भाजत है द्वारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
क्वांर कनग ते लगे देत सब पुरखन कौ पानी
ब्राम्हण रहे जिन्हाई देत है दौलत मन मानी
सखी आयी गयो रे राम लीला
मेला देखन जायूँ संग मैं ले के सुसीला
खोयी गयो छोटो मेरो बलमा
आधी रात हुय गई सखी सब सोई रही कलमा
जगुन मैं बिपदा के मारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
कातिक महीना लगो दिवाली घर घर मैं होती
सब करयीं रौशनी जोर बढ़ावयीं दीपक में ज्योति
खिलौना खिलई सब लवयीं
घर घर मैं खुशी अपार नारी सब हाँ हंसी के खावाई
बलम मेरे ठु नकत है आगे
पेंड़ा बर्फी नाही खात कचौड़ी ख्य८बे कौ मांगई
शीश मेरो चरणन मैं डारो रे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
अघ्न मेरे पास आयी गई सबरीर रे हम जोली
अउ ब्याकुल मुझको देख सखी सब ऐसे है बोली
हमारो मानी लेयू तुम कहना
रखयु मन मैं धीर मुसीबत दूरी होई बहिना
किसायू दिन होई जाये गै प्याले
सब इच्छा पुराण होय काम तब करी हयीं मनवाले
लगयीं तब आली पति प्यारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर अभई मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
के पूस मैं सर्दी पड़ी
पूस में सर्दी पड़ी शीत को जोर भयो भारी
नहीं कटी अकेले राती बलम की अभई उमरी बारी
एक दिन मन मैं आयी हय
मैने लिए पास पौड़ाए सोय गई गई ऑड रजाई हय
मूती द ओ खटिया पै बलमा
हंसी करयीं सब लोग हमारो सब बिधि से मरना
ना निकली दिन भर मैं द्वारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
महा मास कर प्यार खुशनुमा फूलन की डाली
लई के आयो महल हमारो राम दयाला मली
सखी री नही मुझे भाई
मेरा खिला चमन गुलज़ार जवानी है मुझ पार है छायी
खिली है केसर री प्यारी
भंवर रहे गुलज़ार फूली रही जोवन फुलवारी
पके हैं अनार रसवारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
के फागुन खेलयीं फाग पिया संग हंसी हंसी के गोरी
अउ भरी भरी डरांयीं रंग मलाई मुख मैं अमीरू ओ री
सखी सब फिरती भौरानी
जेठ ससुर नाई तिनाई भूल रही ऐसी मतवारी
हमाई त्यौहार नहीं भावाये
जहर खायी मरी जाय हमरे यह मन मैं आवाई
सहे हम सब सै दुख भारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
चैत में चिंता मिटी सखी मेरे बलम भुए स्याने( जवान)
चैत में चिंता मिटी सखी मेरे बलम भये स्याने
तब इच्छा पूरन हुयी सहेली दुख्ख् लगे जाने
बलम मेरे भूली गये लड़िकांईन्या
आवयीं मेरे पास प्रेम की बात करयीं सांईया
पिया मोसे कहन लगे प्यारी
तब दिल मैं बंधना धीर सेज़ की वेखी करी त्यारी
पलंग मैंनें महलन मैं डारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सयाने हुयी गये घरवारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सयाने हुयी गये घरवारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सयाने हुयी गये घरवारे "
बैसाख करो सिंघार बिछायी लई फूलन की सेज़िया
मैं परी पिया के पास जायिके पहिलेय दिन दिदिया
रात भर गले लगाया है
पूरन हुयी मुराद बहुत आनंद मनाया है
सखी दिन आज हुए मेरे
बाराह्मासी लिखके कहयीं ये बुद्धा सिंह उरी
नारी के हरी ने दुख टारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
"मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे
मैं कैसे राख ऊँ धीर सखी मेरे बालम है बारे "


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