नारी स्वरूप है शक्ति का जो परमेश्वर् से हारी है-लिरिक्स हिंदी-गायक /स्वर-ओम प्रकश भैया
Note- इसको बनाने वालों के बारे में जाने
स्वर = ॐ प्रकाश भईया
टाइटल नाम = के नारी स्वरूप है शक्ति का
कंपीराईट्स = GAUTAM STUDIO HRI
लेबल = ॐ प्रकाश भईया
रिकॉर्डिंग = GAUTAM STUDIO HRI
अल्बम = ॐ प्रकाश भईया
राइटर = ॐ प्रकाश भईया
प्रॉडक्सर = GAUTAM STUDIO HRI
डायरेक्टर = ॐ प्रकाश भईया
संपर्क मो0 = 9984249857
व्हाट्सप्प = 9984249857
follow us = laxmi studio kashipur
लिरिक्स = ॐ प्रकाश भईया
Music ऑन = GAUTAM STUDIO HRI
गायक = ॐ प्रकाश भईया
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नोट - 2:- लिरिक्स पड़ने से पहले ये जान लो:-
जो या जितना शब्द लिखा हुआ इस वाले ( )ब्रेकेट के अंदर है वो शब्द गायक ने बिना गाये हुए बोले है जैसे की बिना स्वर ताल लगाए एक गद्द की तरह जैसे बताते है जो शब्द " " के अंदर लिखे है वो वाले शब्द गायक ने साथ साजिया ने बोले है जैसे गायक के साथ बजाने वाले ढोलकिया हो सकता है चिमटा वादक हो सकता है घड़ा मास्टर हो सकता है और कोई को र स पर कोई हो सकता है पड़ने से पहले कृपया समझने के लिए नोट जरूर पड़े धन्यवाद
जो या जितना शब्द लिखा हुआ इस वाले ( )ब्रेकेट के अंदर है वो शब्द गायक ने बिना गाये हुए बोले है जैसे की बिना स्वर ताल लगाए एक गद्द की तरह जैसे बताते है जो शब्द " " के अंदर लिखे है वो वाले शब्द गायक ने साथ साजिया ने बोले है जैसे गायक के साथ बजाने वाले ढोलकिया हो सकता है चिमटा वादक हो सकता है घड़ा मास्टर हो सकता है और कोई को र स पर कोई हो सकता है पड़ने से पहले कृपया समझने के लिए नोट जरूर पड़े धन्यवाद
नारी स्वरूप है शक्ति का जो परमेश्वर् से हारी है-लिरिक्स हिंदी-गायक /स्वर-ओम प्रकश भैया
(हाँ भईया ध्यान दें तो कहना पड़ा जैसा की अभी आपने सुना सीता मंदोदरी की संतान इसी प्रकार बात नारी की है नारी हि रांवन का कल बनी तो नारी की जब बात आयी तो हमारी ओर से से भी कहना हुआ "क्या कहना हुआ ")
के नारी को ना तुम नारी समझो
के नारी को ना तुम नारी समझो
नारी तो नर से आगे है
नारी स्वरूप है शक्ति का
जो परमेश्वर से हारी है
जब प्रेम की बातें करती है
तब वो प्यारी कहलाती है
जब प्रेम की बातें करती है
तब वो प्यारी कहलाती है
मिलती है पुरुष से जब नारी
तब वो नारी कहलाती है
नारी नर पैदा करती है
(ए भईया बड़े भईया )
नारी नर पैदा करती है
तब संसारी कहलाती है
जब दूध पिलाती है अपना
तब महतारी कहलाती है
जब दूध पिलाती है अपना
तब महतारी कहलाती है
जब दूध पिलाती है अपना
तब महतारी कहलाती है
(जब दूध पिलाती है अपना तब महतारी कहलाती है)
की संसार् की जननी नारी है
की संसार् की जननी नारी है
जो दुनिया भर से आगे है
(तभी तो कहना पड़ा " क्या कहना पड़ा)
के नारी स्वरूप है शक्ति का
जो परमेश्वर से आगे है
(आईये ध्यान जब)
जब जन्म कहीं लेती नारी क
जब जन्म कहीं लेती नारी
तब वो लाली बन जाती है
जब दुल्हन बनकर आती है
तब घरवाली बन जाती है
बिखराले लट जब कांधे पर
लाटों वाली बन जाती है
बिखराले लट जब कांधे पर
लाटों वाली बन जाती है
जब क्रोध में आती है नारी
तब महाकाली बन जाती है
जब क्रोध में आती है नारी
तब महाकाली बन जाती जब
जब क्रोध में आती है नारी
तब महाकाली बन जाती जब
जब क्रोध में आती है नारी
तब महाकाली बन जाती है
(की हरिद्वार गया काशी पुष्कर गंगा सागर से आगे है तभी तो कहना पड़ा के नारी "क्या कहना पड़ा")
के नारी स्वरूप है शक्ति का
जो परमेश्वर से आगे है
(ए भईया ध्यान दे आज कल जगह जगह पर अपमान भी होता है नारियों का कहना पड़ा " क्या कहना पड़ा")
अपमान भी होता है नारियों का
सम्मान करो तुम नारी का
सम्मान करो तुम नारी का नारी को सताना बंद तुम
सम्मान करो तुम नारी का नारी को सताना बंद तुम
लेना दहेज़ देना दहेज़ ये चलन पुराना बंद करो
बारात में पल्टन की पलटन मेहमानों का लाना बंद करो
भईया
बारात में पल्टन की पलटन मेहमानों का लाना बंद करो
कहदो दहेज़ भिख मंगो से बहुओ कों सताना बंद तुम
कहदो दहेज़ भिख मंगो से बहुओ कों जलाना बंद करो
कहदो दहेज़ भिख मंगो से बहुओ कों जलाना बंद करो
कहदो दहेज़ भिख मंगो से बहुओ कों जलाना बंद करो
(कहदो दहेज़ भिख मंगो से बहुओ कों जलाना बंद तुम)
की दुल्हन को दहेज़ तुम समझो
(की दुल्हन को दहेज़ तुम नारी जो हर एक जर से दौलत से आगे है तभी तो कहना पड़ा क्या कहना पड़ा )
नारी स्वरूप है शक्ति का
जो परमेश्वर से आगे है
(आइये ध्यान दे )
एक नारी सती अनुसुईया थी
एक नारी सती अनुसुईया थी
इच्छुकों को टल ने नहीं दिया
एक सती चांडली नारी थी सूरज को निकल नहीं दिया
एक नारी अवध की तारा थी सत पति का बदलने नहीं दिया
(भईया ए भईया बड़े भईया
)
एक नारी अवध की तारा थी सत पति का बदलने नहीं दिया
एक नारी सती सावित्री जिन यमराज को हिलने नहीं दिया
एक नारी सती सावित्री जिन यमराज को हिलने नहीं दिया
एक नारी सती सावित्री जिन यमराज को हिलने नहीं दिया
एक नारी सती सावित्री जिन यमराज को हिलने नहीं दिया
(एक नारी सती सावित्री जिन यमराज को हिलने नहीं दिया कहना
पड़ा "क्या कहना पड़ा " के नहीं कलयुग ये करियुग यहाँ करणी कमाले तु और बजन पापों का सर है इसे कुछ तो घटा ले तु जो हरिजन बन तो ऐसा बन हरी सुमिरन की हद करदे और भजन के जोर से और यमराज का खाता भी रद करदे तभी तो हमने कहा " क्या कहा" )
एक नारी अवध की तारा थी सत पति का बदलने नहीं दिया
एक नारी अवध की तारा थी सत पति का बदलने नहीं दिया
एक नारी सती सावित्री जिन यमराज को हिलने नहीं दिया
एक नारी सती सावित्री जिन यमराज को हिलने नहीं दिया
एक नारी सती सावित्री जिन यमराज को हिलने नहीं दिया
एक नारी सती सावित्री जिन यमराज को हिलने नहीं दिया
शंकर से सती जी आगे है
राधा गिरधर से आगे है
(तभी तो कहना पड़ा )
के नारी स्वरूप है शक्ति का
जो परमेश्वर से आगे है
(आईये ध्यान देन बही बात आयी रावण की )
रावण ने हरण किया नारी का तब मरा धारण में वो ने रावण
छल किया इंद्र ने नारी से वो उस पापी का हुआ पतन
छल किया इंद्र ने नारी से वो उस पापी का हुआ पतन
अपमान किया था द्रोपती का हारा था सभा में दुशासन
अपमान किया था द्रोपती का हारा था सभा में दुशासन
सोचों तो सही समझो तो सही कहतें फलव् गुरु पर रघुनन्दन
सोचों तो सही समझो तो सही कहतें फलव् गुरु पर रघुनन्दन
सोचों तो सही समझो तो सही कहतें फलव् गुरु पर रघुनन्दन
सोचों तो सही समझो तो सही कहतें फलव् गुरु पर रघुनन्दन
(अपमान किया था द्रोपती का हारा था सभा में दुशासन सोचों तो सही समझो तो सही कहतें फलव् गुरु पर रघुनन्दन)
कहतें हैँ मस्त गंगा शंकर
कहतें हैँ मस्त गंगा शंकर
गंगा शंकर से आगे है
नारी स्वरूप है शक्ति का जो परमेश्वर से आगे है
नारी स्वरूप है शक्ति का जो परमेश्वर से आगे है
नारी स्वरूप है शक्ति का जो परमेश्वर से आगे है
जो परमेश्वर से आगे है
2- मारु का गौना - स्वर - ओम प्रकाश भईया


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