Chetawani Bhajan with lyrics : Hindi main - kanto lagi jay- काँटों लगी जाय-स्वर -Brajesh कश्यप--ॐ प्रकाश भईया असली शिष्य dhola-ढोला
0RAGUPCAअक्टूबर 22, 2022
नोट-१:-(NOTE):-About this chetawani Bhajan 's creater/ इस चेतावनी भजन बनाने वालों के बारे में -कांटो लगी जय Details
गुरु = ॐ प्रकाश भईया टाइटल नाम = काँटों लगी जाय गायक = बरजेश कश्यप कंपीराईट्स = देहाती हुनर लेबल = बजेश कश्यप रिकॉर्डिंग = लक्ष्मी स्टूडियो काशीपुर अल्बम = बृजेश कश्यप राइटर = बजेश कश्यप प्रॉडक्सर = देहाती हुनर डायरेक्टर = ब्रजेश कश्यप संपर्क मो0 = 9984249857 व्हाट्सप्प = 9984249857 follow us = laxmi studio kashipur लिरिक्स = ब्रजेश कश्यप् Music ऑन = लक्ष्म स्टूडियो काशीपुर
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नोट - 2:- लिरिक्स पड़ने से पहले ये जान लो:-
जो या जितना शब्द लिखा हुआ इस वाले ( )ब्रेकेट के अंदर है वो शब्द गायक ने बिना गाये हुए बोले है जैसे की बिना स्वर ताल लगाए एक गद्द की तरह जैसे बताते है जो शब्द " " के अंदर लिखे है वो वाले शब्द गायक ने साथ साजिया ने बोले है जैसे गायक के साथ बजाने वाले ढोलकिया हो सकता है चिमटा वादक हो सकता है घड़ा मास्टर हो सकता है और कोई को र स पर कोई हो सकता है पड़ने से पहले कृपया समझने के लिए नोट जरूर पड़े धन्यवाद
काँटों लगी जाय- हिंदी में लेरिंक्स -स्वर ब्रजेश कश्यप
जिनके पैरों पे बाई ना गयी
जिनके पैरो पे बाई ना गयी
वो पीर परायी को क्या जाने
जो लोग नोटों पर सोते है
वो गरीबी तुम्हारी को क्या जाने
गौतम भाईया
कै दुख जाने दुखिया
कै दुख जाने दुखिया
कै दुखिया की मां जाने
कै दुख जाने विधवा नारी
सुहागन क्या दुख तुम्हारा जाने
देखिये गौतम जी आज के जमाने में एक चेतावनी
भजन
मैं प्रस्तुत करता हूँ कैसे कैसे लोगों से सावधान रहना चाहिए
बड़े भईया कहना पड़ा गुरु जी कहते
जब प्यास लगती है तो पनघट की याद आती है
जब लाज लगती है तो घूँघट की याद आती है
और जब उम्र ढलती है
बुढ़उती बक्त मेरे भईया तो मरघट की याद आती
अरे काँटों लगी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै रे
काँटों लगी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै
काँटों लगी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै रे
काँटों लगी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै रे
काँटों लगी जाय
काँटों लगी जाय मेरे भईया तुम्हारे
घॉव रे बनी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बाबुरिया पै रे
काँटों लगी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै
काँटों लगी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै
गौतम भईया
(अगर बाबूरिया के पेड़े पे चङो एक तो एक दिन कांटा जरूर लग जायेगा बड़े भईया समझने की बात है कहना पड़ा
क्या कहना पड़ा
किन किन लोगों से सावधान रहना चाहिए )
वैश्या बकील और परनारी
(वैश्या बकील और परनारी )
(बड़े भईया )
वैश्या बकील और परनारी
कब हूँ ना करियो इन से यारी
होय भईया यारी मैं ख्वारी
होय भईया यारी में ख्वारी
इनकी यारी बुरी बीमारी
ओ भईया दाग़ लगी जाय
कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै रे
काँटों लगी जाय
कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै
बबूरिया पै हाँ
बाबुरिया पे
काँटों लगी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै
काँटों लगी जाय
(वैश्या बकील और परनारी
कब हूँ ना करियो इन से यारी
होय भईया यारी मैं ख्वारी
होय भईया यारी में ख्वारी
इनकी यारी बुरी बीमारी
ओ भईया दाग़ लगी जाय)
और
(किन किन लोगों से सावधान रहना चाहिए
गौतम भईया)
तीर्थन के पंडा नाखासे ने के हंडा
तीर्थन के पंडा नाखासे ने के हंडा
(तीर्थन के पंडा नाखासे ने के हंडा)
नेतन के झंडा जे फोरंगे भंडा
नेतन के झंडा जे फोरंगे भंडा
तब परय पुलिस को डंडा
मेरे भईया तुम रहीयो होशियार
कब हूं ना चढ़ियों बाबूरिया
काँटों लगी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै
काँटों लगी जाय
कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै
बबूरिया पै हाँ बाबुरिया पे
काँटों लगी जाय
काँटों लगी जाय
(तीर्थन के पंडा नाखासे ने के हंडा
नेतन के झंडा जे फोरंगे भंडा
नेतन के झंडा जे फोरंगे भंडा
इलेक्शन आने वाला है गौतम भईया
इलेक्शन आने वाला है यदि आपके घर में चार भाई है तो कोई कमल फूल पै कोई हांथ के पंजा पै कोई साईकिल पै कोई चार भाई है चारों का भंडा फुट जाता है तो झगड़ा होता है तो लास्ट मे क्या होता है )
परय पुलिस को डंडा
मेरे भईया तुम रहीयो होशियार
कब हूं ना चढ़ियों बाबूरिया पै रे
काँटों लगी जाय कब हूँ ना चढ़ियों बबूरिया पै
बबूरिया पै हाँ
बबूरिया पै
काँटों लगी जाय
(लास्ट बात में कहना पड़ा गौतम भईया क्या कहना पड़ा)
बेली बाबुरिया और झल बेरी
(बेली बाबुरिया और झल
यानी कांटो वाली बेरिया)
बेली बाबुरिया और झल यानी
कब हूँ ना घर मैं लगयी यो खाजूरी
(खजुरिया को पेड़ो)
कुरा कर कट कंडन को बटया
(कुरा कर कट कंडन को बटया)
मती धरियो कोई घरमा
नाई तो करिया लहराय
कब हूँ ना चढ़ियों बाबुरिया पै रे
कांटो लगी जाय कब हूँ चढ़ियों बाबुरिया पै रे
काँटों लगी जाय
कब हूँ ना चढ़ियों बाबुरिया
बाबुरिया पे हाँ बाबुरिया पे
कांटो लगी जाय
कब हूँ ना चढ़ियों बाबुरिया पे
(और स्वर्गीय ओम प्रकाश भईया जी हमारे गुरु जी हमारे ओम भईया जी कहते थे 1 बड़ा ही अच्छा प्रसंग है मुंसी कल्यान् राय ने लिखा है अल्हा निकासी का )
अरे किनके मरे से रे बखरी सूनी, किनके मरे से देश छुटी जाय
किनके मरे से आदर घटी जाय, किनके मरे से बजन घटी जाय
अरे किनके मरे से भुजा रे टूटी,जाय किनके मरे सै दागु लगी जाय
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