भाग -1
ढोला का गौना -मारु का गौना -गायक कैलाश चंद वा मीना कुमारी की आवाज में - हिंदी लिरिक्स
नोट :- लिरिक्स पड़ने से पहले ये जान लो:-
जो या जितना शब्द लिखा हुआ इस वाले ( )ब्रेकेट के अंदर है वो शब्द गायक ने बिना गाये हुए बोले है जैसे की बिना स्वर ताल लगाए एक गद्द की तरह जैसे बताते है जो शब्द " " के अंदर लिखे है वो वाले शब्द गायक ने साथ साजिया ने बोले है जैसे गायक के साथ बजाने वाले ढोलकिया हो सकता है चिमटा वादक हो सकता है घड़ा मास्टर हो सकता है और कोई को र स पर कोई हो सकता है पड़ने से पहले कृपया समझने के लिए नोट जरूर पड़े धन्यवाद
जो या जितना शब्द लिखा हुआ इस वाले ( )ब्रेकेट के अंदर है वो शब्द गायक ने बिना गाये हुए बोले है जैसे की बिना स्वर ताल लगाए एक गद्द की तरह जैसे बताते है जो शब्द " " के अंदर लिखे है वो वाले शब्द गायक ने साथ साजिया ने बोले है जैसे गायक के साथ बजाने वाले ढोलकिया हो सकता है चिमटा वादक हो सकता है घड़ा मास्टर हो सकता है और कोई को र स पर कोई हो सकता है पड़ने से पहले कृपया समझने के लिए नोट जरूर पड़े धन्यवाद
NOTE:- Intro-
Dhola- Maru Ka Gouna
Vol-1
Singer - Kailash Chand, Meena Kumari
Music- Narayan Ustad, Ramadheen Master
Recording- Gupta Cassette
Reduabing- Goutam Studio Hardoi
Mobile- 91+ 8318091224
YouTube- Goutam Studio Hardoi
Copyright©️- Goutam Studio Hardoi
Label- Goutam Studio Hardoi
Trade Inquiry- @JagjeevanGoutamHardoi
नोट-१:-(NOTE):-About this creater-ढोला का गौना- Details
गुरु = kailash chand va meena kumari
टाइटल नाम = मारु का गौना
गायक = kailash chand va meena kumari
कंपीराईट्स = GAUTAM STUDIO Hardoi
लेबल = Goutam Studio Hardoi
रिकॉर्डिंग = Goutam Studio Hardoi
अल्बम = Dhola- Maru Ka Gouna
राइटर = kailash chand va meena kumari
प्रॉडक्सर = Goutam Studio Hardoi
डायरेक्टर = ब्रजेश कश्यप
संपर्क मो0 = 8318091224
व्हाट्सप्प = 8318091224
follow us = Goutam Studio Hardoi
लिरिक्स = kailash chand va meena kumari
Music ऑन = Goutam Studio Hardoi
ढोला का गौना -मारु का गौना- हिंदी लिरिक्स
ढोला का गौना -मारु का गौना- हिंदी लिरिक्स
कैलाश चन्द:- (हाँ तो एक बार बोलिये दुर्गे मईया की जय)
तो सुनिए हमारा ये प्रोग्राम मारु का गौना गुप्ता कैसेट्स के माध्यम से सुन रहे हो 3 कैस्स्तोन् में पहले सुनिए साज उसके बाद् में उसके)
ओम नमो पर्तमा सुमिरी लियो जगदीश
गुरु अपने उस्ताज को झुकी चरण नवाऊं शीश
गुरु चरण न हम भरे और गुरु सागर हम कीच
जहाँ गुरु के चरण हैँ वही हमारो शीष
करनी करे तो क्यों डारे
आरे क्यूं करके पछिताय
औ पेड़े बये बाबूर के तौ आम कहाँ से खाय
आरे सुमिरन करके नारायण को
औ लई बजरंग बली को नम
आरे सुमिरयीं देवता जहई कस्बा के
हम मईया मनवायीं फर्राखबाद की
ये फराखाबाद की वा पल्ला वालो
जिन्नाई मोटर रोंक दौ तो बादशाई को
आरे पूजा लयि लई थी शाहूकारण पई
बीच सडक बीच पई मंदिर लयो तो बनवायी
के नदिया दरसनी को रे गावत है
के नदिया दरसनी को रे गावत है
औ जहाँ पई राम नई करी अस्नान
आरे पिंडा बिरहा थे के राजा दशरथ हम
औ तासे परो दर्सनी नाम
अच्छा जादा सुमिरिनी कौनु बढ़ा वई
जासे कहत भोर होय जॉय
औ महिमा दरसी गयी जा गुप्ता कैसेट्स की
जो हुयी गयी जिला फरखाबाद शर्मनाम
आजु आयी गयी शारदा मईया
(सुना हो कोई आपने गढ़ नरवर का नाम
वही के राजा भू का किस्सा कौ वखाने एक समय की बात ढोला कूमर ढोला कूमर की डिलाई डेलवा शादी हुयी गयी गौने की कोई खबरिया नयी सुखा परी गयीथी आज 12 बरस की लाखा गौ तो पिंगुल गढ़ के दरम्यान जब झूला झुला रे धोखे मय मित्रव वाय पिंगुल के दरम्यान आजु वाहे कहानी आज तुमई सुनावयीं मित्रव सुनऊ लगायी के ध्यान जब सारो पटा लगो मारु को मारु करती कौन से काम आजु चिठ्ठी लिख रही अपने सजाना कौ
वाई बगिया के दरम्यान हाँ मेरे मित्रो बंजारा जाके झूला झुला मारु के साथ में जनाना बनके और आज जब पता लगा लिया तो आज मारु अपने पति महराज को चिठ्ठी लिख रही यानि ढोला कुमर जब की उसे पता लाग्या तब आगे की कहानी क्या सुनिए
मीना कुमारी:- हे परदेसी
कैलाश चंद:- परदेसी कौन है हम तुम्हारे
मीना कुमारी:- ये बताइये
कैलाश चंद:-हाँ
मीना कुमारी :- आप ढोला से छोटे है या बड़े
कैलास चन्द:- हम तौ ढोला से तुम्हे इससे मतलब क्या हम तौ ढोला से छोटे हो या बड़े
मीना कुमारी :- मेरा काम तुमसे थोड़ा
कैलाश चन्द:- काम है तुम्हारा kya
मीना कुमारी:- हाँ
कैलाश चन्द:- तौ हम बताये तुमयी ढोला से बड़े
मीना कुमारी :- एक काम मेरा कर दीजिये आप
कैलाश चन्द:- आपने हमसे छोटा बड़ा पूंछा औ छोटे बताये या बड़ा बताएँ
मीना कुमारी:- नहीं मुझे सही कैलाश)
कैलाश चन्द:-
अरे सैय सरदा जे ढोला है पैदा
एरि सैय साँझ ढोला हई पैयदा
औ हम तौ भये थे भोरहरीय रात
राती भरे को छोटे बड़े है
औ अब तुम दिल की बताबऊ बात
आजु तुमसे कही रव धर्मी की बंजारों
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(हाँ बोलिये क्या बात है
मीना कुमारी:-ठीक है
कैलाश चन्द :-हाँ
मीना कुमारी :- मै आपको चिठ्ठी लिखती हूँ ये शुभ काम करदो मेरा
कैलाश चन्द:- किनके लिए
मीना कुमारी :- ढोला कूमर के लिए
कैलाश चन्द :- क्यूं)
मीना कुमारी :-
अरे रोय रोय के मारु चिठ्ठिया रे लिखई
चिठ्ठिया रे लिखई चिठ्ठिया तौ लिखई
मारु नीर ना नीर बाह्ययी कैसे रही है
कैलाश चन्द:-
अरे रोई रोई चिठ्ठिया जो लिखई
चिठ्ठिया जो लिखई
अरे नैनन नीर बहायी कैसे रोवयी
मीना कुमारी :-
सास ससुरा को पा पईया लागयी ओ जननी
जननी पईया लागयि जननी
औ पति कौ लिखी रही मै सात तलाक
कैलाश चन्द:-
आरे सास ससुर कौ पांय लाग् उ लिखई हाँ लाग लिखई
औ पल् मै लिख रही जे सात तलाक
(मीना कुमारी:- औरु सुनिए
-कैलाश चन्द-: कहिये
मीना कुमारी:-आगे क्या लिखती हूँ)
मीना कुमारी:-
खाना ताऊ खइयाउ मेरे सजना देश अरे नरवर मै
ओ मेरे दूल्हा खयियौ अरे पति जी मेरे खाईयाव गयुके के मास
अरे भोजन तौ रे जेवयीं मेरे सजना तौ देश अरे नर्वर मै
ओ मेरे दूल्हा जेव्यू जेवायु रे गयउ के पति जी मेरे मास
अरे पानी तौ पिययु मेरे सजना देश अरे तौ नरवार मै
ओ मेरे दूल्हा पिय्यू रे गयउ के पति जी मेरे पीन
अरे सीजिया ता रे सोईयाब मेरे सजना सौती अरे रेवा की
ओ मेरे दूल्हा सोव वयु रे बहिनी के केरे अपनी सेज़
अरे जायु रे ब्याहु रे करण कौ रे सजना दुधु अरे बने
जा गौने की लई थी खाब्रिया जा तुमने नाई
जिएकी रहे जा ब्य्हाता मेरे सजना डोलायी अरे तौ मइके मै
ओ मेरे सजना जीवन कौ अरे धिरकार
अरे संग की वो संखि ओ सजना
दुई दयि लला खिलावई
ओ मेरे दूल्हा तौ दिल मै मेरे बन्धाती करारी नाई
कैलाश चांद:-
अरे दुनिया जानई जानई मेरे मास्टर
गुप्ता अरे कैसेट्स कौ
मारु ललना खिलाई रही बात उ अपने सजना के सपने मै
गुप्ता कैसेट्स जा हुयी गयी फरखाबाद में रे सर नाम
मीना कुमारी:-
अरे मओ रे गदरन अरे मेरे सजना देश अरे तौ पिंगूल मै
ओम मेरे दूल्हा दिल की तौ बतायी रही तुमको साँची बात
कैलाश चांद:-(ओ मेरे ढोला के सुन्न वाले आज मारु अपने पति को क्या क्या बातें लिख रही उसका गौना नहीं हुया था इस लिए )
मीना कुमारी :- चिठ्ठी ता रे लिखी दयी ओ मारु देश अरे ता पिंगुल मै
ओ सुनवाईयव लाखा को दयी देखव पक रायी
अरे लई के जा नई चिट्ठया मेरे भईया
देश अरे ते पिंगुल सै
ओ सुनवाईव लाखा ने लगायी ना पलकी देर
अरे पाचा का दिना की देखव मै जेल वा मारी
अरे की लाखा लगो रे बरोबारी देखव जाएी
कैलाश चन्द:-
अरे सुनी सुनी जानई लीजिउ हमारे साजउ के तुम बजवाईया
आजु लाखा जान ई बा दिना देश अरे तौ नरवर मै
आखिर आगे हुए थे वा दिना आगे कोंन से काम
मीना कुमार :- (चाचा जी को नमस्कार
"कों हो तुम "
मीना कुमारी :- आप नहीं जानते
"हाँजी"
मीना कुमारी:- मै आपका छोटा भाई हूँ
" कोंन सा भाई "
आपका का लड़का
कैलाश चन्द:- मै लाखा बंजारा
" लौटी आय )
"कहिये कोई परेशानी हुयी")
कैलाश चन्द :-
भेद रे बतावयीं मेरे चाचा तुमकाओ अरे ता समुझॉयीं
ओ मेरे चाचा दिल की रे बताई रे मै तुमयी सांची बात
चिठ्ठिया जा ता लई गयी चाचा देश् अरे ता पिंगूल से
ओ मेरे चाचा दिल मै रे करारी जा बंधी रही नाई
(ए चाचा
" कहिये"
Joढोला:- देखिये ए चिठ्ठी आयी है देश् पिंगूल से जो आपने डिलई डेलवन में शादी की थी ढोला कुंवर की वो मारु ने तुम्हारी बहुआ ने भेजी है
चाचा:- इतनी सी बात और कोई बती नहीं
लाखा :- और कोई बात नहीं
चाचा :- आपने मुझे चिठ्ठी दी की नहीं
लाखा :- जी लीजिये चिठ्ठी को
चाचा:- आप बैठ जाईये
लाखा :- अच्छा तो हम चलते है
चाचा :- जाईये तुम्हे कोई परेशानी तो नहीं
लाखा :- कोई परेशानी मुझे
कैलाश चन्द:-
राजा नल ने ना देर लगायी आजु चिठ्ठी देख आजु नज़री घुमाई
जब देखी चिठ्ठी अपनी बहु की राजनल गये थे सनखा खायी जो को खबरी मालूम हुयी जाई हई ढोला लारिका कौ बिन गौनो करावन मानेगो लारिका नाई तासे लायके चिठ्ठी अपनी रानी अउ
जा चिठ्ठी कौ देय छिपाय जो ढोला जाई गो देश पिंगुल तो जिंदा वह लला बचाई गो नायी
आजु अबना देर करीती राजा नै
अरे लायिके चिठिया जाऊ उनई पांयन
अउ सीध महलन की लई ती लगायी
आजु जहाँ प ई बैठी गयी नारी
ए जहाँ प ई बैठी वा नारी देह वंती
अउ धीरे राजानल् पहुंचे
अउ अपनी रानी सै रहे ते बतिलाई
अरे वा बढ़िया ढोलकियां
राजनल:- (ए रानी साहब
देवयान्ति:- कहिये पति महराज
राजानल :- तु महलों में बैठी
दबयंती :- कहिये महराज
राजनल :- तुमको कही खबर है
दव्यंती :- कुछ नहीं मझको खबर कहिये क्या बात है
राजानल:- हमपे तुमपे जिस समय औखा पड़ी थी
दव्यंती:- कहिये पति महराज
राजानल:- उसी समय ढोला कुंवर की डे ल ई डे लावा शादी रचाई थी
दव्यंती:- जी
राजानल:- आज उसी बहु की जे चिठ्ठी आयी है और ईश्में तलाके लिखें है गौना करवा लीजिये खाना खायो तो गायो का मस खायो पानी पियो गायो का रक्त पियो ओ सेज़ सोयो तो बहिनी की सोव्यो
इसीलिए इस चिठ्ठी को छुपा दीजिये ढोला कुवर् जान् लेगा तो वक्त पर गौना कराने जायेगा
आजु आगे हुए रहे से ढोलकियां
(ध्यान दें साथियों जब राजानल महलों में आते हैबजब दव्यंती अपने पति के चेहरा की तरफ देखती है तो दव्यंती अपने पति से किस तरीका से बतलाती है ओ मेरे साथी जरा ध्यान से सुनिए )
दव्यंती:-
अरे कोंन आई मुसीबत मेरे सजना आयी गयी औता नरवर मै
अरे मेरे दूल्हा दिल की रे मोय बताई देऊ ना साँची बात
दवायंती:- और सुनिए पति महराज
राजानल :- कहिये
देवत्यंती:- और मैवक्या कहती हूँ
अरे कानन जा रे कुण्डल मेरे सजना सांवाले कैसे डारी गये
ओ मेरे दूल्हा मुख वीरा पिया जी मेरे गयो तो कुमिलाई
अरे बात रे बताब मेरे सजना देशा अरे नरवर मै
ओ मेरे दूल्हा दिल मै रे करारी जा बन्धि रही नाई
दव्यंतिनी:- (हे महराज
राजानल:- कहिये
दव्यंतिनी:- ये बताइये कैसी आफत पड़ गयी महराज
राजानल :- ये बात मती बुझिये मै बतयूंगा
दवंतिनी :- आवश बतानी पड़ेगि
राजनाल:- तो परेशान हो जायेगी
दवयंती:- बताइये मुझे)
राजनल:-
अरे जननी तो कन्हैया री तुम्हरों देश नरवर रे
(जो तुमने पिंगुल मै पैदा किया था ढोला कुंवर को )
दव्यंतिनी:- कहिये पति महराज मै सुनती हूँ
राजानल:-
वाई तो लला की हमनई शादी जानयी करवायी
आरे ताई ता बहु की मेरी रानी चिठ्ठिया जा तो आयी गयी
दव्यंतिनी:-( क्या कह रहे दिल महराज
राजानल :- उसी बहु की चिठ्ठी आयी है
दव्यंतिनी:- चिठ्ठी आयी है
राजानल :- हाँ )
अरे गौनो ता कराव उ चलीके आ ताऊ रे बेटा को
ओ मेरी प्यारी सुनी लेउ रे लगाई मेरी जा बात
(हां मेरे मित्रो )
दुनिया जान्यई जनयी मेरे मास्टर गुप्ता अरे कैसेट्स कौ
हम तौ का जनयी रे कैसेट्स को हमत उ झंकार कैसेट पा
अब ना आगे तु हम को करौ ना ज्यादा बर्बाद
दव्यंतिनी:-
अरे जुलम रे गुजरे गये रे सजना देश अरे ताऊ नरवर मै
ओ मेरे दूल्हा रे लई के रे....
राजानल:-
अरे भेट रे पकाव व उ मेरी रानी हमको तुम समुझा ओ
( अब बताइये ढोला कुंवारबका गौना कराएं या ना कराएं और ढोला कुँवारबका गौना हमारे तुम्हारे बस कातो है पता तो है लेकिन वहां ढोला कुंवर को पता नहीं होना चाहिए और हम तो वहां जाँएगी नहीं कुंकि हमने तो उसकी दूसरी शादी कर दीथी
दव्यांतिनी:- हे महराज
राजानल :- कहिए
दव्यंतिनी:- सुनिए मै बताती हूं आपको )
अरे बीदा री बताबएं मेरे सज्ना तुमको अरे ता समुझॉयीं
ओ मेरे दूल्हा दिल की रे बतायीं रे तुमको साँची तुमयी बात
अरे अगिलो रे लड़ाईतो हमारो देह अरे नरवर मै
ओ मेरे सजना नाम को दुनिया मै तो चलाईया देखाउ �आजु
दव्यंतिनी:-( हे महराज
राजानल:- कहिये
दव्यंतिनी:- देखिये मै आपको बताती हूँ
राजानल् :- हाँ
दव्यंतिनी:- जो आप जो कुछ करिये ढोला कुंवर को नहीं मालूम पड़ेगी )
राजानल:-
हम एक बात तुमयी समुझावयीं
(रानी दव्यंती
दव्यंती:- कहिये महराज)
राजानल्:-
अरे चिठ्ठिया छिपायी लेउ जातो गौने की
और नातो खबरी मालूम होई लला कऊ
मेरी रानी सुन लेउ लगायी के ध्यान
दव्यंतिनी:-( हे महराज
राजानल :- कहिये
दव्यंतिनी :- देखिये मैभी आपको बेई बात बताना चाहती हूँ आप सुनिए देखिये कुम्हार घर से एक बोरा पारा घरिया मंगवा लीजिये और उसी में चिथ्थि को दुकाकर कोने में रख दीजिये -मेरे साथियों उधर राजानल और दव्यंती आपस में बात करते उधर क्या जो दीदीवा जो अंटा पर खड़ी है वोबके छुपा रही है और वो देख रही है की ससुर ने मेरी ऐसी चीज़ खायी है और रही बची जो कोने में दुकाकर रखी दयी मेरे पति महराज मेरे पति महराज अन्ये गे तो उनसे सारी बात बता दूंगी )
आरे जुग जियउ कै साज के बजवईयव
(हां मेरे मित्रो इधर चिठ्ठी देवांति और राजानल छुपा लेते है और रेवा अं टा पे खड़ी देखती है उसने सब होते देख ली इधर ढोला कुंवर शिकार खेलने गये और शिकार खेलके बापस आये तो आज अपनी रानी रेवा के पास आरहे थे क्यूंकि रोज रेवा दरबाजे पे मिलती थी घड़ा लिये आज नही तो अंदर ढोला कुंवर चले जाते है आज नही तो रेवा जो महल में ल टी हुयी आज ढोला कुंवर अपनी रानी रेवा से क्यूं क्या कहने लगे )
ढोला:-
आजु तुमई दिल की बताई देण्य ढोलकियां
(ए रानी साहब आज हिया क्यूं लेटी हो तुम
रेवा :- कुछ नहीं महराज
ढोला:- क्या बात हो गयी
रेवा :- कोई बात नहीं हो गयी
ढोला:- कोई बात तो है
रेवा :- नहीं महराज)
ढोला:-
रोजु गंगा जल को गडुआ लईबके दरबाजे पे पहुँचती थी जाय
आजु कों सी कमी हुयी गयी देश नर्वर मै तुमने सूरती आजु दिखाई नाई
रेवा:- (हे महराज
ढोला:- कहिये
रेवा :- तो सुनिए मै आपको बताती हूँ
ढोला :- बताईये)
ढोला:–
सोई मेरी रानी जी
आरे भेद बतायी देऊ मोकु महलन मै मेरी प्राण न प्यारी
नेक दिल बात बताई देऊ
(रेवा:- हे महराज
ढोला:- कहिये)
रेवा:-
आरे जुल्म तओ गुजरे गये मेरे सजना देश रे तौ नरवर मै
ओ मेरे दूल्हा रही गये रे ठिकाने नर्वर मै नायी ( रोती हुयी)
अरे भेदा रे बताबयीं मेरे सजना तुमको अरे ता समुझॉयीं
ओ मेरे दूल्हा दिल मै रे करारी जा बंधी रही नाई
अरे ऐसी जान यी चीज़ मेरे सजना आयी अरे तो महलान मै
चाचा ने तो खायी मेरे सजना मैया ने जा खायी
रही बची वा कोने मै धारी दयी देख उ डुकायी
रेवा:- (महराज
ढोला :- कहिये
रेवा:- देखिये महराज ऐसी कोई बस्तु आयी महलों में जो मात पिता ने खायी रही बची कोने में दुकाकर रख दई मै अंता पे देखती रही खड़ी -2 मुझसे कोई बात नहीं पूंछी
ढोला :- हमारे माता पिता ने
रेवा :- जी पति महराज आप तो कहते थे की हमसे बढ़कर उनके लिए कोय बस्तु नहीं है
ढोला:- तुम कह रही हो
रेवा:- जी महराज मैने अखीस से देखी है )
ढोला:-
अरे नाम तो डुबाये पे रानी तुम तौ अब ठाड़ी हयो
आखिर तुमको शर्म रे जा रही थी कत हूँ नाई
(मेरे माता पिता ऐसा नहीं कर सकते
रेवा:- नहीं महराज मै आपको सही बताती हू जइिए उनसे पूंछिए जाकर के
ढोला:- मेरे पिता पिता ने चीज़ खायी तुम्हे नहीं बताई
रेवा :- नहीं महराज
ढोला:- तो तुमसे अच्छी मंगा लो
रेवा :- नहीं महराज
ढोला:- ज्यादा ज्यादा उन्ने जलेबी लाडुया पेंड़ा कोई चीज़ अच्छी खायी होगी उससे ज्यादा कोई अच्छी मंगा लो
रेवा :- नहीं महराज आप तो कहते थे हमसे बढ़कर कोई बस्तु उनके लिए नहीं है जो आपसे चुराई रखी हमसे चुराई कोई बात नहीं आपसे क्यूं चुराई
ढोला:- अच्छा
रेवा:- ये बात कहती हूँ )
ढोला:-
अरे एकई बात तुमई समुझावांई
(रानी देवयान्ति
रेवा :- कहिये महराज
ढोला:-
देवयान्ति जो है मेरी माता है )
हम एकई बात तुमई सामु झावयीं
अउ हमसे प्यार कोई नाई दुनिया पै
(ऐसी चीज़ नहीं जो हमसे प्यारी हो )
अउ जो कुछ चीज़ आयी है नर्वर मै
अउ चच्चा बे हमकु दिहाई बताय
तुम कहे कउ पीछे परी मैया के
जिसन 9 महीना मोय राखो उदर मै
वा कुछु झूंठ मैया नाई बोली हई
मेरी रानी कहे को गयीं थी ब उ रायी।
रेवा:- (हाँ इसी लिय्)
अरे कांवरिया ढोलकियां जुरीमिल्के
2- मारु का गौना - स्वर - ओम प्रकाश भईया


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