बारहमासी मछला हरण -स्वर-ओम् प्रकाश भईया - ढोला-हिंदी लिरिक्स
NOTE:- Intro-
बारहमासी मछला हरण
नोट:-(NOTE):-About this creater Details
गुरु = Falav Guru Raghunandan
टाइटल नाम = बारहमासी मछला हरण
टाइटल नाम = बारहमासी मछला हरण
गायक = om prakash bhaiya
कंपीराईट्स = GAUTAM STUDIO Hardoi
लेबल = Goutam Studio Hardoi
रिकॉर्डिंग = Goutam Studio Hardoi
अल्बम = om prakash bhaiya
राइटर = om prakash bhaiya
प्रॉडक्सर = Goutam Studio Hardoi
डायरेक्टर = om prakash bhaiya
संपर्क मो0 = 8318091224
व्हाट्सप्प = 8318091224
follow us = Goutam Studio Hardoi
लिरिक्स = Om prakash bhaiya
Music ऑन = Goutam Studio Hardoi
कंपीराईट्स = GAUTAM STUDIO Hardoi
लेबल = Goutam Studio Hardoi
रिकॉर्डिंग = Goutam Studio Hardoi
अल्बम = om prakash bhaiya
राइटर = om prakash bhaiya
प्रॉडक्सर = Goutam Studio Hardoi
डायरेक्टर = om prakash bhaiya
संपर्क मो0 = 8318091224
व्हाट्सप्प = 8318091224
follow us = Goutam Studio Hardoi
लिरिक्स = Om prakash bhaiya
Music ऑन = Goutam Studio Hardoi
नोट - 2:- लिरिक्स पड़ने से पहले ये जान लो:-
जो या जितना शब्द लिखा हुआ इस वाले ( )ब्रेकेट के अंदर है वो शब्द गायक ने बिना गाये हुए बोले है जैसे की बिना स्वर ताल लगाए एक गद्द की तरह जैसे बताते है जो शब्द " " के अंदर लिखे है वो वाले शब्द गायक ने साथ साजिया ने बोले है जैसे गायक के साथ बजाने वाले ढोलकिया हो सकता है चिमटा वादक हो सकता है घड़ा मास्टर हो सकता है और कोई को र स पर कोई हो सकता है पड़ने से पहले कृपया समझने के लिए नोट जरूर पड़े धन्यवाद
जो या जितना शब्द लिखा हुआ इस वाले ( )ब्रेकेट के अंदर है वो शब्द गायक ने बिना गाये हुए बोले है जैसे की बिना स्वर ताल लगाए एक गद्द की तरह जैसे बताते है जो शब्द " " के अंदर लिखे है वो वाले शब्द गायक ने साथ साजिया ने बोले है जैसे गायक के साथ बजाने वाले ढोलकिया हो सकता है चिमटा वादक हो सकता है घड़ा मास्टर हो सकता है और कोई को र स पर कोई हो सकता है पड़ने से पहले कृपया समझने के लिए नोट जरूर पड़े धन्यवाद
बारहमासी मछला हरण -स्वर-ओम् प्रकाश भईया - ढोला-हिंदी लिरिक्स
पनघट पर कितने घट टूटे पनघट को इसका पता नहीं
मरघट ने कितने घर लूटे मरघट को इसका पता नहीं
( एक हंसी की बात"क्या")
घूंघट ने कितने दिल लुटे घुंघट को इसका पता नही
(तो आयियए तीसरी सुपर कैसेट्स की तरफ से
प्रकाश भईया ग्राम चने हटी जिला बरेली के द्वारा आप बाराहमासी सुनिए)
हो.......
मछला हरण
सावन महीना लगो आयी गयी हरियाली तीजे
अउ गड़े हिण्डोला बाघ नारी झूला झूलाये री झै
चली अब बैरिनी पुरवाई
अउ मछला उडी गयो छीर चौंधा अम्बर मै छायी
नज़री ज्वाला सिंह के आयी
नज़री ज्वाला सिंह के आयी
अउ उल्टी खायी पछाड़ होश सब तन की बिश्राई
मोरछा से जब हिर जागो
और किन्हो मछला हरण इश्क जाय महोबे सै लागो
"और कीन्हो मछला हरण इश्क जाय महोबे से लागों
कीन्हो मछला हरण इश्क जाय महोबे से लागो"
भादौ महीना लगो
भादौं महीना लगो शारदा के मंदिर आयो
ज्वाला सिंह कीनो हवन मात दुर्गा के मन भायो
कही तब दुर्गे महरानी
क्यून दिल में दिलगीर बिगड़ी रही तम्हरी पेशानी
कही राजा ने करी जोरी
की बिधि मछला मिलाये हृदय की ये इच्छा मोरी
प्रेम उस गजबिन सै लागो
अरे प्रेम उस गजबिन सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
(ए भईया बड़े भईया कहना है "क्या कहना है ")
लागो मास कुंवार
लागो मास कुंवार बीर दुर्गा के पास धाये
लागो मास कुंवार बीर दुर्गा के अब धाए
गढ़ महुबे में पहुंचे आय पलिंग ढिंग मछला के आये
महल मै सोई रही रानी
महल। मै सोई रही रानी
औ पलिंग सहित ले चले रहा गढ़ पथरी की ठानी
उतारी मंदिर मई जायी
उतारी मंदिर मयी जायी
औ फ़ौरन पहुचे आयी खबरी जब ज्वाला सिंह पायी
उठी सोवत से जब रानी
उठी सोवत से जब रानी
औ देखा निघा पसार नारी अल्हा की रे पछितानी
दुख्ख हृदय से आय लागो
अरे दुख्ख हृदय से आयी लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
( ए भईया जब कार्तिक का महीना लगा तब कहना पड़ा " क्या कहना पड़ा")
लागो कार्तिक मास जागे महुबे के नर नारी
मालना दीवला जगी जगी फुलवा उदली
नारी
जगी गयो उदली औतारी
जगी गयो उदली अउ तारी
ढूढो हई सब रनिवास मिली नाय इंदली महतारी
गजब भयो महालन मई भारी
गजब भयो महलन मै भारी
अल्हा उदली सुनी सुनी जब अल्हा तपधारी
सुखख सब महुबे को भागो
अरे सुख्ख सब महुबे को भागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
अग हन महीना लगो
अग हान् महीना लगो उदय सिंह सैयद बतलावयीं
औ किस बिधि मछला मिलई पता हम किस बिधि से पावयीं
धीर धर ताला बतलायी
धीर धर ताला बतलायी
गज गजनी लीये निकाल दिये फिर फ़ौरन नहलाई
कही फिरी उदली समुझाई
कही फिर उदली समुझाई
और रानी मछल हरी
ढूंढी गयो 52 गढ़ जाई
बाद किस राजा को लागो
बाद किस राजा को रे लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
(ए भईया जब पूस का महीना लगा तो कहना पड़ा "क्या कहना पड़ा)
पूस महीना लगो जोड़ गज गजनी को रे धायो
और घूमे 52 देश पता रे नाय मछला को पायो
पहुंची गयो पथरिगढ़ जाई
पहुंची गायो पथरी गढ़ जाई
छज्जा ऊपर केस सुखावत मछला हई पायी
बहुत मन दोनऊ हरसाने
अरे बहुत मन दो 9 हरसाने
गढ़ महुबे मै पहुंचे जाई वहां उदली सै बतलाने
पता गढ़ पथरी मै रे लागो
पता गढ़ पथरी मै रे लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक गढ़ महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
(ए भईया कहना पड़ा " क्या कहना पड़ा")
माह महीना लगो उदय सिंह अरे बौना रे बुलवायो
औ गढ़ पुलियर का राय बौनीय पथरी कौ धायो
सुघर ज्वाला सिंह केरी बेटी
सुघर ज्वाला सिंह के बेटी
औ सुआ पंखिनी नाम महल अपने मै थी लेटी
बौनीय रंग चढ़ायो है
बौनीय रंग चढ़ायो है
और मछला धीर बंधाय बौनीय महुबे आयो है
दाग क्वारी को आप लागो
अरे दाग़ क्वारी को आप लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
(ए भईया बड़े भईया)
फागुन् महीना लागो
फगुना महीना लगो बना फल अरे पथरी कौ साजये
औ तर लस्कर तैयार बजावयीं है फ़ौजी बाजे
कुँच केरो बाजो रे नक्कारो
कुँच को बाजो नक्कारो
और पैदल पल्टन अस्वार चल दियों अब सारो
धुरे गढ़ पथरी के आये
धुरे गढ़ पथरी के आये
दीनोआ लस्कर रोग बनाफ़र डेरा लगवाए
तलन्सि बंगला कौ धाये
तलांसी बांग्ला कौ धाये
ज्वाला सिंह कही सुनाई बना फल महुबे के आये
खन्ग जाय बांग्ला मै दागो
खंग जाय बांग्ला मै दागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
के चैत महीना लगो ज्वाला सिंह मन मई दहलायो
बांग्ला से चाली दियों आज भवन दुर्गा जी केरे आयो
(ए भईया बड़े भईया )
हवन की बेदी रचवाई
अष्ट भुजा धरी रूप कालिका मंदिर मई आयी
कही तब भूपति ने बानी
कही तब भूपति ने बानी
चढ़े आयो उदय राज करयो कुछ कृपा महरानी
भवानी मंदिर सै धायीं
भवानी मंदिर सै धायीं
और पड़े बना फल राय शारदा लस्कर मै आयी
मंत्र पड़ देवी नय मारो
अरे मंत्र पड़ नय मारो
और उदय राज को सारो लस्कर पथ्थर् करी डारो
भ्रात सुत लए अल्हा भागो
अरे भ्रात सुत लए अल्हा भागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक गढ़ महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
(आईये जब बैसाख का महीना लगा तब कहना पड़ा "क्या कहना पड़ा अरे बताई तौ हई ज उ न कहायी क पड़ा बता बाउ)
लगत मास बैसाख इंदली सी अरे गढ़ सिरसा रे आयो
प्रतापी मालिखान बबर सै छौना बतलानो
कही रहो इंदली अवतारी
अरे कही रहो इंदली अवतारी
तुम बैठे सुख चैन चचा करौ पथरी की त्यारी
हरी मेरी मछला महतारी
अरे हरी मेरी मछला महतारी
शारद से तेगा चलो फ़ौज सब पथ्थर करी डारी
उठाऊ सरिसा पति बलिधारी
अरे उठाऊ सरिसा पति बलिधारी
अरे अमर गुरु ले साथ फ़ौज गढ़ पथरी मै डारी
अमर गुरु ले साथ फ़ौज गढ़ पथरी मै डारी
अरे गुरु नै बिद्या पड़ी मारी
अरे गुरु नै विद्या पड़ी मारी
और पैदल पलटन अस्वार फौज् जिंदा करी दी सारी
तोप जब मलिखे नै दांगी
अरे तोप जब मलिखे नै दागी
दुर्गे नाय मानी हार सारदा मंदिर सै भागी
मोरछा मलिखे नै दागो
अरे मोरछा मलिखै नै दागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक गढ़ महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
(व भईया बड़े भईया कहना पड़ा " क्या ")
के जेठ महीना लगो
जेठ महीना लगो श्याम सिंह अरे खेतन ललकारों
गढ़ कनवज को भूप लखन सीनै य जोधा मारो
कुंवर फिर भौनरी सिंह आयो
नूर दीन ताला को बेटा खेतन कौ धायो
जंग हई 2 9 नई ठानी
जंग हई 2 9 ने ठानी
और तेगा चलो अपार् हारी नूरी ने हई मानी
बड़ो फिर उदली बलिधारी
बड़ो फिरी उदली बलिधारी
2 9 हांथ घुमाई सांग फ़ौरी सिंह के मारी
हाजरी सुर पुर मै दीन्ही
और सुत भ्रात को मारी लगे फिरी हांथी राम कनी
मोर्चा परब्रम्हा आयो
अरे परब्रम्हा आयो
और हाँथी दयो पछाड़ कैद करी ब्रम्हा ने करवायो
सांग जब सुआ राम धारी
सांग जब सुआ राम धारी
अउ नैना गढ़ के जोगराज नै कींही गिरफ्तारी
(तो कहना पड़ा " क्या " बताते है)
सनीचर गढ़ पथरी रे लागो
सनीचर गढ़ पथरी रे लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
(आईये जब असाड़ का महीना लगा तब कहना पड़ा "क्या")
असाड़ सरिसा पति मलिखे नै अरे तेगा को धारो
और गढ़ पथरी के भूप मान ज्वाला सिंह को मारो
लूट पथरी किरी करवाई
अरे लूट पथरी किरी करवाई
भयो ज्वाला सिंह अधीन गिरो चरणो में है आयी
सौंपी दियों मछला को लायी
अरे सौंपी दियों मछला कओं लायी
और करी इंदलबको तिलक कैद लड़को की कटवयी
बंदगी रीत करी सारी
बंदगी रीत करी सारी
और द्वारे पर चढ़ी बारात भंवर य लड़की की डारी
बहुत धन राजा नै दियों
अरे बहुत धन राजा नै दियों
गज घोड़ा और ऊंट पालकी रथ रब्बा दियों
दुख्ख सब मछला को रे भागो
अरे दुख्ख सब मछला को रे भागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
(ए भईया कहना पड़ा "क्या")
लौंद मास गढ़ महुबे
के लौंद मास गढ़ महूबे आये
और दावती की भारी
मन मोद बना फल राय नगर के हरसे नर नारी
खुशी हई इंदली को भारी
खुशी हई इंदली को भारी
गंगा पर साधई नाम सुनी वैसी कबिता करी डारी
पता अपना बतलाता हूँ
और राम गंगा के निकट की ऊँचे गांव में रहता हूँ
मस्त प्रकाश दुख्ख भागो
मस्त प्रकाश दुख्ख भागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
औ कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
कीन्हो मच्छला हरण इशक जाय महुबे सै लागो
2- मारु का गौना - स्वर - ओम प्रकाश भईया


if you have any douts. Please coment me