भाग -1
मारु का गौना- लिरिक्स हिंदी में =स्वर /गायक/सिंगर ओम प्रकश भईया
स्वर = ॐ प्रकाश भईया
टाइटल नाम = मारु का गौना
गायक = ॐ प्रकाश भईया
कंपीराईट्स = GAUTAM STUDIO HRI
लेबल = ॐ प्रकाश भईया
रिकॉर्डिंग = GAUTAM STUDIO HRI
अल्बम = ॐ प्रकाश भईया
राइटर = ॐ प्रकाश भईया
प्रॉडक्सर = देहाती हुनर
डायरेक्टर = ॐ प्रकाश भईया
संपर्क मो0 = 9984249857
व्हाट्सप्प = 9984249857
follow us = laxmi studio kashipur
लिरिक्स = ॐ प्रकाश भईया
Music ऑन = GAUTAM STUDIO HRI
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नोट - 2:- लिरिक्स पड़ने से पहले ये जान लो:-
जो या जितना शब्द लिखा हुआ इस वाले ( )ब्रेकेट के अंदर है वो शब्द गायक ने बिना गाये हुए बोले है जैसे की बिना स्वर ताल लगाए एक गद्द की तरह जैसे बताते है जो शब्द " " के अंदर लिखे है वो वाले शब्द गायक ने साथ साजिया ने बोले है जैसे गायक के साथ बजाने वाले ढोलकिया हो सकता है चिमटा वादक हो सकता है घड़ा मास्टर हो सकता है और कोई को र स पर कोई हो सकता है पड़ने से पहले कृपया समझने के लिए नोट जरूर पड़े धन्यवाद
जो या जितना शब्द लिखा हुआ इस वाले ( )ब्रेकेट के अंदर है वो शब्द गायक ने बिना गाये हुए बोले है जैसे की बिना स्वर ताल लगाए एक गद्द की तरह जैसे बताते है जो शब्द " " के अंदर लिखे है वो वाले शब्द गायक ने साथ साजिया ने बोले है जैसे गायक के साथ बजाने वाले ढोलकिया हो सकता है चिमटा वादक हो सकता है घड़ा मास्टर हो सकता है और कोई को र स पर कोई हो सकता है पड़ने से पहले कृपया समझने के लिए नोट जरूर पड़े धन्यवाद
भाग -1
भाग -1
- मारु का गौना- लिरिक्स हिंदी में-
स्वर /गायक/सिंगर ओम प्रकश भईया
सदा भवानी दाहिने आरे गौरी पुत्र गणेश
5 देव रक्षा करे तो ब्रह्मा विष्णु महेश
ओम नाम पर्मत्मा जिससे बड़ा ना कोई
जो इसका सुमिरन करे सुद्ध आत्मा होय
जय जय देवी जय लता आरे मात मेरी मुझे दिये बर्दान
और 5 चीज़ मांगे मिलई सो सम ताल कंठ स्वर ज्ञान
के सम ताल कंठ स्वर ज्ञान मात मेरी दो एक मजिल बीच
नाम लेत हंसा तरों तो कु काल ना बांका शीश
काल मस्तक पर धरु गुरुयों के उपदेश्
चरण छुआ कर ले चलो सो मोही सतगुरु अपने देश
सतगुरु दिला का चांदना बिन सतगुरु अंधेर
जिनको सतगुरु ना मिले जोर जबर का फेर
के राम नगरिया राम की बसत गंग के तीर
और अटल राज महराज को सो चौकी हनुमत वीर
जेते देवता नेक सुमिरन के अरे सभी मनाऊँ आज
और आसन आज बिराजियो कोई सकल संभरौ काज
के सभी सभा गुनमान है के मैं मूर्ख नादान
थोड़ी आई चर्चा कहु सो मेरी सुनो लगाकर ध्यान
की एका मैं एक हरी को नाम जिन्न सारी दुनिया बसायी रे
की एका मैं एक हरी को नाम जिन्न सारी दुनिया बसायी रे
दुक्की मैं द्रोपती सुता की राखी लाज मुरारी रे
तिक्की मैं तिरिलोकी नाथ ने किया समुन्दर खारी रे
चाउआ मैं चतुरंग नारी शिशु बाली की सेना भारी रे
पंजा मैं भाई पवन पुत्र (कहना तो)हनुमान ने लंका पजारी रे
छक्का मैं छल कियो जय कोई बाली के संग मुरारे रे
सत्ता मैं सतवंत नारी औरु अहिल्या भारी रे
कि अठ्ठा मैं अठ भुजी शारदा सिंह की मात सवारी रे हाँ
और नहला मैं नरसिंह रूप धरी जाय प्रहलाद उबारी रे
दहला मैं बस रही द्वारिका तीन लोक से न्यारी के है
गुल्लू में सब ग्वाल वाल और ब्रज की सखिया सारी रे के
बेघम में ब्रष्भान दुलारी और राधिका प्यारी है की
बाददशह में ब्रज मोहन तिनहु की लीला न्यारी की
आरे जेते तौ देवता रे भईया मेरे नित सुमिरन के
अरे हमारी सभा मैं बिराजउ नेक आय
आरे पड़े है बिछौना री मईया मेरी चांदना चौक मैं
एक दिन सुमिरीही मईया रे देखउ राजा रे नल नै
राजा तौ नल की रे राखी तूने लाज है भवानी
आज तौ लाज रे बचाईये मेरी जननी तुम आयिके
अरे तौ माता बेडा लगायी दिये मेरो पार
औ जननी बेडा लगायी दिये पार
द्वापर बारी मेरि पर्वत बारी जी
"द्वापर बारी मेरि पर्वत बारी जी"
पर्वत मेरी धौलागिरी वारी जी
"पर्वत मेरी धौलागिरी वारी जी "
(ए भईया )
औ माता आयी हूंकार पे अरे री बनवारी
मेरी ज्वाला मईया
मईया पुरानगिरी वारी
आयी गई चढ़ी सिंह सवारी
मईया है न्यारी न्यारी
मैं छवि पे जाऊं बलिहारी
कि ब्रन्दा वन सो वन नहीं और नंद ग्राम सो ग्राम
कि काशी सो तीरथ नहीं और कृष्णा नाम सो नाम
काशी सो तीरथ नहीं और कृष्णा नाम सो नाम
भरोसा तेरो हि भारी तो
भरोसा तेरो हि भारी तो
भरोसा
कि ब्रन्दा वन सो वन नहीं और नंद ग्राम सो ग्राम
कि काशी सो तीरथ नहीं और कृष्णा नाम सो नाम
भरोसा तेरो हि भारी तो
भरोसा तेरो हि भारी तो
भरोसा
अरे जगदम्बा रे मईया बेडा लगायी दियों मेरो पार
(हा तो कहना तो)
कागा किसको धन हराय कोयल किस को देय
और मीठे बचन सुनाये के जग अपनों करी लेय
(हाँ तो भाइयो मारु का गौना राज ढोला कि कहानी में आप ध्यान सह एक शहर था नरवर गढ़ जहाँ राजा नल का राज था उनके एक पुत्र था ढोला किंवर जिसकी शादी राजनल ने बाली उम्र में हि डालई डलवा मै शहर पुंगुल गढ़ के राजा बुध कि सुता मारु के साथ कर दी थी
इधर
ढोला और मारु दोनो को हि अपनी शादी का पता नहीं था नाही ढोला को मालूम था नहीं मारु को लेकिन् जब लड़की मारु जवान होती है एक दिन संखियो के साथ चमन बाग झूला झूलने जाति है सावन का महीना मारु लौंग डाल पर झूला डालने कि तकरार करती है कहती है कि मैं यहाँ कि राज बेटी हूँ मेरा बाग है जहाँ मन चाहेगा झूलूंगी सखियों को मारुकी घमंड भरी बात बुरी लगी तब संखियों ने अगर तु ऐसी ना होती तकरार करने वाली घमंड वाली तो तेरा पति तो तेरा पती तरा गौना अब तक जरूर करवा लेता तेरे लक्षण खराब है इसी से गौना तेरा तेरे पति ने नहीं लिया ऐसी हि कहने लगी कि वो ऐसी हि ठंठ बनी राणो फित्ती रहा उ तुम ध्यान दे आप )
अरे तुम्हारी संग कि लौडिया तिनके 2 2
(कहांन लगी वोय संखिया मिलजुल के मारी खिसियाय खिसियाय के सुन्ति नाय मारु ए रणों तुम्हारे संग समेला कि जेती लौढ़िया तिनके बताब उ काउ एक लारिका काऊ दुई लारिका का औ तुम उसीय ठंठ बनी फित्ती हिंया ऐसी नाई होती रणों तौ अब लौ तुम्हारो आदमी गौनो जरूर करवाय लेतो ध्यान दे भईया इस प्रकार कि बात को कहती है बार बार जब वो कहती चली जाती हैतो मारु को बड़ा ही गुस्सा आती है कहती है कि ओ हो मुझे ये नहीं मालूम् है कि मेरी शादी हो चुकी है खैर आज मैं अपनी माँ के पास जाउंगी और अपनी माँ से ये पूंछूगी कि कहाँ मेरी शादी हुयी है कोंन हमारा पती है और मैं अपने गौने की बात जरूर अपने पती तक पहुचाउंगी ताकि सखियाँ मुझे ताना ना मारे ऐसा अपने मन में बिचार करती है और अपनी माँ के पास जब पहुँचती है तो क्या कहती "क्या कहती तो अरे जौ न कहती है वो बताते है आप ध्यान दें)
व मईया सुन लीजिओ अरे माता जी सुनऊ हमारी बात
औ कौन देश मै बेहौला मेरी मईया तुमने करो है
माता तुमने मोय बतायो नाय
(ए मेरी माँ तुमने मेरी कहाँ शादी की है और जो आज तक गौने की खबर नहीं ली हमारे लिए संखियों ने ताना मरा है आप मुझे मेरा पता बताओ तो मै अपने पती के पास खत लिख दूँ ताकि मेरे पती मेरा गौना करवा ले जब पता बतला दिया है तो किस प्रकार मारु वो क्या करती है " क्या करती है)
हाँ.....
कैसी करऊं मैं का करी डाराऊँ औ कैसे मन राखऊँ समुझाई
औ आज लौ तुमने नाय बताओ की मेरी मईया मेरी शादी की बात तुमने मोसय राखी छुपाय
ते कलमदान् स्याही लयी करी के औरु मारु ने करे कौन से काम
और अपने पती कौउ चिठिया लिख रही देश नरवर कौ औ मैना कौ कैसे देई गी पक रायी
(चिठ्ठी मे लिखती है मारु)
अरे सास ससुर को मै पेंईया लागन आरु बलमा कौ सत तलाक
अरे पानी पियांई बलम नरबर मैं पिया मेरे पियां रक्त की रे धार
अरे भोजन जेवाय जो देश नरवर मैं पिया मेरे जेवय गउ के मास
अरे सेज जो सेवाय सौती रेवा की पिया मेरे सोवय बहिनी किय सेज़
औ कैतउ नरवर को थन्डो है पानी औ हिज़ड़ा बसी रहे देश नरवर मै
औ कैत उ सास मेरी छिड़ियाँ फांदी औ कै त उ नरवर हीन मुलिक है
औ नाय है बलम औ छे के अवतार
औ लिखी रही चिठिया जा इत मै मारु
औ पकी गयी जमीरियाँ मेरी रस मय भरी गयी
औ सजन लेउ हमारी जा बात
मैं बारीय् रही तौ लौ खेली बच्चन मैं
सजना मेरे ओ गुड़ियन् को खेल
अरे जवान भई का मती हुयी गयी बाबरी
जौ जुवना डांटे डाटती मेरो नाय
औ ऐसी चिठियां मैं बातयी जब लिख दयी
औ गौनो करवाय लेउ मेरे नरवर वारे
औ भरी भरी गोली मोक उ संखिया मारई
तौ रसिया मोपई सहे नाय जाय
(हाँ मेरे प्यारे भाइयों मारु ने चिठ्ठी को लिखा है और उस चिठ्ठी को मैना के गले मै बंध दिया है मेरे प्यारे भाइयों जब मैना लेजाकर के वो चिठ्ठी नरवर मै पहुँचती है तो उस समय उस मैनावाती की चिठ्ठी को रेवा ने देख लिया जब मैना चिठ्ठी लेकर के पहुंची मैना को देख लिया मैना को कैद मै करली और चिठ्ठी को छुपा लिया है कोई खबर नहीं लगी इधर दुबारा से फिर चिठ्ठी को लिखा है मारु ने और वो गंगा राम सुआ उसके गले में बाँध दी है ए मेरे प्यारे भईयों वो सुआ है अब वो चिठ्ठी को लेके जा रहा है देश नरवर तो देखें किस पटाकर उड़ रहा है "कैसे उड़ रहा है ")
अउ एक पंख मै सुयना बांधी पुर वायी
एक मै बांधी लयो पछिया उ
अरे मेरे ध्यान रे देन किय बात
अउ अम्बर पंख सुयना फैलाये
अउ नरवर गढ़ की सुयना सीधी लगाये
तौ सुयना आसमान मढ़ राय
अउ दिन भर उड़ उड़ के जौ सुयना थकी गयो
अउ पहुँचो है बिकट बनीय मै जाय
देख उ नरवर गढ़ तौ अभय दूरी है
देख उ कैसे पहुंचय दूरी कौ राम
ढोलकियां भईया हिन्य हि पै लगायी लेउ ना घर की ताल
(हाँ मेरे प्यारे भईयों आप ध्यान दे इधर जब गंगा र सुआ उस चिठ्ठी को लजाकरके पहुंचा है कहाँ गले बांधे हुए बिकट बनी बन बिहाड़ झाड़ी में रात का बक्त हो जाता है )
दिन की मुदन परण झोली की सबिता रहे धुंधी मै छाय
गंगाराम अब मन मन सोंचई अउ कैसे चिठ्ठी नरवर ल उ पहुंचवयीं देन की बात
(तो सुनियवो इधर जब शाम का वक्त हो जाता है तो सोंचते है कही कही बिश्राम करलें तो वहां पर एक पेड़ के ऊपर 100 सुआ और बैठे हुए थे मेरे प्यारे भाइयों जब 100 सुया बैठे देखे गंगाराम ने तो वो भी जायिकर्के रुक गये )
सौव उ सुआ कहन लागे है ए भईया सुन उ हमारी बात
(ऐसो त नाई तुम्मसे कोई नुकूस उकूस होइ जो बताब उ हमाय् लय कहु चकर ना आयी जाय हमय कोई कोई मुसीबत ना आयी जाय ऐसो मती करिएवो यार तुममें कोई एव होइ तो मती रुकियों हमय पेड़ पै अपनों अलग कहूं डेरा डा र उ जाय सुआ कहन लागे तुम कतय चिंता मती करो हमारे अंदर कोई एव नाय ऐसी बात जब कही मेरे प्यारे भाइयो गंगाराम सुआ सहित 101 तोता उसी पेड़ पर तो बैठे हुए है और इधर पेड़ शहर पना में )
बाई शहर पना के राजा ने 5 रूपया सुआ दयो है लगाय
(कीमत 5 रूपए करदी है वहाँ के राजा ने ए मेरे प्यारे भाइयों इधर बदिका और बदिकिनी यानी/शिकारी और शिकारिनी )
वा वदिका की बदिकिनी बोली अपने वदिका सै सुन ल उ मेरे नाथ
अउ 5 रुपईया करदौ है राजा ने अउ तुमय है काऊ बात की चिंता नाय
(वा बदिकिनी कहान लागी ए दारी जार तेरो मर य तेरो अयं जा त उ बताऊ अय बालक बच्चा भूंखे मरे जात हरके हियाँ के राजा ने 5 रुपईया सुआ कद्दौ ने ऐसे ठलुआ घूमत रहत चले जाउ अउ बे सुआ वक आद पकल्लाब उ जाय त् 5 पकल ला ब उ बेंची आ उ
अउ तसे घरको गुजराहन होइ अउ तुम ओसे बा र न मा तेल डा र के फ़ित्त रहत गुंडन की तरह जब वह वदिकिनी ने कही तो चिंता मती कर उ वदिकिनी हम अभय जाति)
ज्यादा बढ़ावा कउनु बड़ाव यी ज्यादा कउनु करे बकवास
अउ जायकी पहुंचो है वदिका वाई पेंडे तै अउ जाल अपने हांत में लयी लौ राम
जायिके पहुंचो जब वा पेंडे ढिंग अउ सुआ वा न ई देखें जॉय
तै जाल फेंक दौ मेरे सु व ई य वो जाल में 100 सुअना है फंसी जॉय
(जब 101 सुआ सब फंसी गये ताब सौवव सुआ बोले व भईया देख उ हमने पहलेई कही जहु सारो नुकूसी हई सुआ जौ आयी गयो हरकेन मय जाके धुंसनी और अउ ताइस हरके फंसी गये अब का होई यये गंगाराम कहान लागे देख उ चिंता मती कर उ कतय हम तुमयी जतन बता बयी )
अरे जब का जउ बदिका हरकें न पकड़ी के फेंकई नीचे
तब हें पुतरे डारी लिया उ अउ भेंट मुलमूलाई लिय उ राम
मरो भौ जानके केरे सुअना एकै एक नीचे फेंकई
(घर भेंट पुल पुली कल्ले उ औ पूत रे कतई बंद कल्ले उ तै जौ वादिका जा जनिये सब मरी गये तै वो नीचे फैंकई जो पहले नीचे गिरायी बै गिनता रहई जब 101 धमाके हुयी जॉय तै घरके उडी चली यउ तो लो भेंट कत् य उसीय पुल पुली करे रही यव ऐसी जतन ऐसी जतन जब गंगाराम सुआ नई बताई सोय कम भौ वदिका जब चड़ो औ चढ़ीके जैसेय बा ने फेंको नीचे तो बै गिनते रहो )
एक दुई तीन चार पांच छे सात आठ नौ दस ग्यारह बारह
बारा सुआ गिरी गये तो लौ तर हो फेंको आय
जाई अरे तरा सै तो वदिका ने 100 वव सुअना फेंके
(ए मेरे प्यारे भाइयो जब 100 सुआ नीचे आ गये है तब तक की वदिका की होती है कराली वो गिर जाती है नीचे तो 101 धमाका हो जाता है तभी वो सब सुआ समझ जाते हैँ की अब तो 101 कौ नीचे आयी गये तैं वे उडी जात है 100 सुआ त्उ उडी गये और् गंगाराम वायि में फंसे रह गये ए मेरे प्यारे भाइयों तै वा वदिका के ने जानी जाई सारे को करिश्मा है बता ब उ जेत उ सब जिंदा है इन्ने सारें ने भेंट मूल मुलाई लयी चलो सासुके तुम्हारी तो तरकारी बनव ई है अपनी मेरुआ सै औ कलिया कर वै है तुम्हारो )
फंसी गयी अरे पिरानी इत मैं गंगाराम सुअना की
कैसे बहिनी की चिठिया गौने की पहुंचई गी नरवर धाम
अरे लै जायिके तब सुअना गंगाराम को वा दिन वादिका
औ अपनी वैदिकिनी से कैसे भरन लगो हई ज्वाब
ओ तो का मेहरुआ हमारी नेक सब्जी तुम बनायीं लेउ
(मेहरुआ तोको सही बताई रहे जाई सारे सुआ ने अकेल्ले सौ सुआ और ढीलवाय दये ऐसो काम कर आज अगर वे सब पकत् लेते तो आज मजा आयी जातो एक्का जाई सारे चालाँकि के मारे जौ सब गड़बड़ हुयी गौ औ जाकाउ बेचीं हईं कतय नाई राजा कौ नाई दिहयीं जॉय तुम जाकी तरकारी कल्लेउ औ घरके तरकारी करके आज खये हांई )
आड र जब का दई दौ बा बदिका ने ओ तो मेरे सुन वै यउ
अरे बदिकिनी मन मन मैं तब अपने करती बिचार
(इधर तो बदिकिनी सोचती है ठीक है मैं अभी बना ऊँ गी इशकी सब्जी को बदिका घूमने के लिए चला जाता है आड र दे वो और उशकी बदिकिनी जो है वो वहीं पर देखती है और क्या देखती है ये हम आपको बतलायेंगे साथ साथ )
गंगा अरे राम तो सुअना मन मन बदिना सोचई
कैसे तो पिरानी बचई बचायैगि मेरे ओ तौ तिरलोकी
अरे तौ करता कैसे मेरे बचयीं हिन्य पै प्राण
सोई मेरे करता जी औ जो नाई चिठिया पहुचाय मेरे गढ़ नरवर मैं
ओ मेरे करता नाई गौनो बहिनी मेरी को होय गो जी
सोयी मेरे स्वामी जी औ
इत मैं सुअना मन मन सोंचई
वा दिन हुँवा पै अब प्रणीय मेरी हिन्या फंसी गयी जी
(मेरे प्यारे भाइयों गंगाराम सुआ वहां पर फंस गया है और वो तो अपने निकलने की तरकीब जरूर सोचेगा सुआ जरूर बतलायेगा
कोई न कोई तरकीब से यानी बदिकिनी और बदिका को चकर् में डालेगा आप देखेंगे की किस प्रकार से वो चक्कर में डालेगा सुआ और तब यहाँ से उसकी प्राणी बचेगी और तब देश नरवर में चिठ्ठी पहुचायेगा ये सुआ औ कहना है)
हाँ..करम लेख ना मिटे करौ चाहि लाख क्यून चतुराई रे
औ करम लिखे बात भाभई अब सुअना की आयी गयी रे
मेरे अर्रे करम तेरी रेखा न्यारी
करम तूने कहाँ फसायी दौ आय
मैं कैसे धीर अब धार ऊँ चोला मैं
औ कैसे मन राख ऊँ समुझाई
मेरे नाई तौवकरारी पराई जिय रा मैं
तौ सुअना मन मन करती बिलाप
(मेरे प्यारे भाइयों इधर सुआ अपने मन में बिचार करता है और तरकीब को बतलाता है यानी किस प्रकार बतलायेगा आप ध्यान दे "कैसे बतलायेगा बतलातें है )
अरे क्या गति बर् न उ ओ मेरे स्वामी
औ उत मैं मारु मन मन सोंचई
(इधर तो सुआ मुसीबत में फंसा है उधर मारु सोच रही है की हमारी चिठ्ठी जरूर पहुंच गयी होगी )
औ उत्मई मारु कोई मन मन सोंचई
तो दद्दा पिंगुल मैं सोच रही आज
तो अब तो चिठिया कोई पहुंची होगी बलम ढिंग
औ जल्दी सै मरो गौनो होई जाएगा
खुशी मैं मारु झूमई आज
जय कारा शेरो वाली का
बोल साँचे दरवार की जॉय
बोल साँचे दरवार की जॉय
बोल साँचे दरवार की जॉय
जयकारा शेरोवाली का,बोल साँचे दरवार की जॉय
ए पार्टी इस केश से मातारानी का जय कारा पड़ा
(इश्के आगे की कहानी है हमारी अगले कैसेट्स में है
और ध्यान दें फिर भी चलते चलते कहना है क्या "कहना है ")
हाँ......
ए भईया सुनीलीज उ हमारी ध्यान दें की बात
औ सुआ की प्राणी फंसी है इस समय
वाई बदिका के घर राम
औ मन मैं सुअना अपने करत है पश्चताप
औ कैसे चिठिया जल्दी से पहुचा ऊँ
भईया ध्यान देंन् की बात
हाँ........
रो रो सुअना हुआ बेहाल दिन राती कैसे कटे
रो रो सुअना हुआ बेहाल दिन राती कैसे कटे
रो रो सुअना हुआ बेहाल दिन राती कैसे कटे
रो रो सुअना हुआ बेहाल दिन राती कैसे कटे
(इधर सुआ रोता है मन में बिचार करता है आप ध्यान दे हमारी तरफ दो लाइने है )
रो रो सुअना हुआ बेहाल दिन राती कैसे कटे
ना पहुंची चिठ्ठी नरवर धाम की छाती क्यून ना फटई
ना पहुंची चिठ्ठी नरवर धाम की छाती क्यून ना फटई
ना पहुंची चिठ्ठी नरवर धाम की छाती क्यून ना फटई
ना पहुंची चिठ्ठी नरवर धाम की छाती क्यून ना फटई
जय कारा शेरो वाली का
बोल सांचे दरवार की जय
2- मारु का गौना - स्वर - ओम प्रकाश भईया

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